यस आई एम— 32
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इतनी बात सुनकर लड़की अपने दद्दू के चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी। जब उसने अपने दद्दू के चेहरे को देखा तो उस पर अनगिनत भाव आए हुए थे जिन भावों को देखकर लड़की गहरी सोच में पड़ गई। कुछ देर सोचने के बाद वह अपने दद्दू से बस इतना ही पूछ पाई। "आप इन सबके लिए खुद को जिम्मेदार क्यों समझते हो?" इतनी बात कहने के बाद लड़की ने जैसे ही दोबारा फिर से अपने दद्दू की तरफ देखा तो उनकी आंखों में आंसू आए हुए थे, जिन आंसुओ को बुजुर्ग व्यक्ति ने बड़ी ही तेजी के साथ अपनी शर्ट की आस्तीन से साफ कर लिया और फिर वे अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले।
"मै खुद को इन सबके लिए इसलिए जिम्मेदार मानता हूं क्योंकि मैंने ही उसे बुराई के खिलाफ लड़ना सिखाया था। मेरी ही सिख की वजह से उसने उन लोगों का विरोध किया और उसी वजह से उसके साथ वो सब हुआ। मेरी ही वजह से एक बाप से उसकी बेटी दूर हो गई। ना तो मैं उसे बुराई के खिलाफ खड़े होने की सिख देता और ना ही उस लड़की के साथ ये सब होता।
इन सबके लिए मै खुद को ही जिम्मेदार ठहरा रहा था। इसी वजह से मै अंदर ही अंदर खुद को घुटा हुआ महसूस कर रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी आत्मा ही मुझे गालियां दे रही हो। मै खुद से नजरे भी नही मिला पा रहा था। कई दिन ऐसे ही रहने के बाद मैने डिसाइड किया कि मै उन लोगों को सजा दिलवा कर रहूंगा। इसके बाद मैं इस केस की तहकीकात में लग गया। बहुत दिनों की छानबीन के बाद मुझे उन लोगों के खिलाफ सारे सबूत मिल गए जिसके बारे में उन लोगों को ना जाने कहां से पता चल गया। उसके बाद कई बार हमारे घर पर उन लोगों ने कभी कांच की बॉटल तो कभी पत्थरों से हमला कराया।
इस हमले में एक दिन मेरी पोती बाल बाल बच गई। उस दिन उन लोगों ने हमारे घर पर तेजाब की बॉटलसे हमला किया था। मेरा बेटा भी इन हमलों के बाद बहुत परेशान हो गया था। उसकी तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि हमारे घर पर इस तरह से हमले क्यों हो रहे है। जब इन चीजों पर काबू नही हुआ तो मैंने अपने बेटे और बहू को सब कुछ बता दिया कि मैं उन लोगों के खिलाफ सबूत इक्कठा कर रहा हूं। इतनी बात सुनने के बाद मेरे बेटे और बहू ने मुझे साफ साफ उन लोगों से दूर रहने के लिए बोला और साथ ही साथ ये भी कहा कि वे लोग मेरे इस काम में मेरा साथ भी नही देने वाले।
पहले तो मैंने अपनी बात पर बहुत जोर दिया पर जब उन लोगों ने मुझे मेरी पोती का हवाला दिया और उसकी कसम दी तो मुझे इस मामले में पीछे हटना पड़ा। मेरे पीछे हटते ही मेरे घर पर होने वाले हमले भी बंद हो गए। कुछ दिनों बाद मेरी पत्नी की डेथ हो गई जिसकी वजह से मैं बिल्कुल टूट गया। एक तो मेरे और मेरे बेटे में पहले से ही अनबन चल रही थी, मेरी पत्नी की मृत्यु के बाद वह अनबन ओर भी ज्यादा बढ़ गई। अनबन इतनी ज्यादा बढ़ गई कि एक दिन उन्होंने मुझे घर से ही निकाल दिया। शायद मैंने ही कुछ गलत किया था जिसकी वजह से वे लोग मुझे अपने साथ नही रखना चाहते थे। उसके बाद मैं पहले तो कुछ दिन इधर उधर भटकता रहा और उसके बाद अपने पास मौजूद जमा पूंजी से मैने अपना ये रेस्टोरेंट शुरु कर दिया जो जल्द ही फैमस भी हो गया। बाकि तो तुम्हें पता ही है।
इसके अलावा जिस दिन तुम मेरे पास आई मुझे तुम में सच्चाई नजर आई और मुझे तुम हालात की मारी भी लगी। फिर मै नही चाहता था कि तुम्हारे साथ कुछ गलत हो। तुम्हें भी सहारे की ज़रूरत थी और मुझे भी किसी किसी अपने की जरूरत थी। तुम्हे देखकर मुझे मनोहर की बेटी और अपनी पोती दोनों की याद आ गई। बाकि तुम मेरे लिए कितनी खास बन गई , ये तो तुम्हें भी पता ही है।" इतनी बात कहने के बाद बुजुर्ग व्यक्ति अपनी बात कहते कहते एकदम से चुप हो गए।
लड़की लगातार अपने दद्दू को ही देख रही थी, जिनके भाव बातों के साथ साथ बदल रहे थे। पर अभी उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव के साथ साथ एक शांति भी आ गई थी जो शान्ति किसी को अपने अंदर छिपी हुई बातों को बताने पर होती है, उन्होंने लड़की की मदद करके जो गलती उन्होंने नहीं की थी उसका भी पश्च्यताप कर लिया था। कुछ देर तक अपने दद्दू के चेहरे को देखने के बाद वह उनसे बोली।
"आपने उस लड़की को कोई भी गलत सिख नही थी और ना ही उस लड़की ने कोई गलत काम किया। आपने जो सिख दी उसका आपने खुद भी पालन किया और लड़की ने भी अपनी सिख पर अमल किया। दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते है जो खुद से ऊपर उठकर लोगों के बारे में सोचते है, आप और वह लड़की ऐसी ही थी। उसने तो अपना फर्ज निभाया था। इस काम के बाद लड़की की आत्मा को भी शांति मिली होगी कि उसने गलत का विरोध किया। पर उसका वक्त ही सही नही था। ऐसी बहादुर लड़की को मै दिल से सलाम करती हूं। " अपनी बात कहकर लड़की कुछ देर के लिए शांत हो गई। उसे शांत देखकर बुजुर्ग व्यक्ति उस से एक सवाल पूछते हुए बोले।
"क्या तुम जानना चाहोंगी कि उस लड़की का नाम क्या था और तुम्हारे डॉक्यूमेंट्स तुम्हें कहां से मिले।"
अपनी दद्दू के इस सवाल के जवाब में लड़की बोली। "ऐसी बहादुर लड़की का नाम कोई नही जानना चाहेगा। मै तो आपसे पूछने ही वाली थी। पर आपने मेरे पूछने से पहले ही मुझ से सवाल पूछ लिया। मेरे लिए अब डॉक्यूमेंट्स नही उस बहादुर लड़की का नाम ज्यादा मायने रखता है।"
लड़की की इतनी बात सुनकर बुजुर्ग व्यक्ति हल्का सा मुस्कुरा देते है और फिर लड़की के सवालों का जवाब देते हुए बोले। "उस लड़की का नाम पंछी था। जो किसी पंछी की तरह हमेशा मेरे आगे पीछे घूमती रहती थी। जितनी तुम मुझे प्यारी हो उतनी ही वह भी थी। जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा तो तुम्हे देखकर मुझे मेरी पंछी की याद आ गई। अब तुम सोच रही होगी कि मैने तुम्हे उसका नाम क्यों दिया। ज्यादातर लोग जिनके साथ ऐसा केस हुआ होता है उसको अपसगुनी मानते है। पर मेरी पंछी बहुत ज्यादा बहादुर थी इतनी तो कोई हो भी नही सकती। मुझे तुम्हारा नाम पता नही था और यह नाम मुझे बहुत पसंद था इसलिए मैंने तुम्हारा नाम पंछी रख दिया।
जब तुम कुछ दिन मेरे पास रही तो मैने मन बना लिया कि तुम अब से मेरे साथ ही रहोगी तो तुम्हारी हर तरह की जिम्मेदारी मेरी ही हुई ना। मुझे पता था तुम्हारे पास तुम्हारा कोई भी डॉक्यूमेंट्स नही है जिसकी वजह से मै कई दिनों से सोच में डूबा हुआ था। उसी दौरान एक दिन मेरी मुलाकात मनोहर से हुई , हर बार की तरह वह मेरा चेहरा देखकर ही समझ गया कि मैं अभी किसी परेशानी में हूं। उसके कई बार पूछने के बाद मैने उसे सब कुछ बता दिया। पहले तो वह कुछ देर तक सोचता रहा और फिर मुझ से बोला। मै उसकी बेटी पंछी के डॉक्यूमेंट्स तुम्हें दे दूं, ज्यादा कुछ करने की जरूरत बस मेरी बेटी की फोटो की जगह मै तुम्हारी फोटो लगा दूं और नाम उसकी बेटी का ही रहने दूं।
पहले तो मैंने उसे कई बार मना की पर उसने मुझे सारी बातें ऐसी कही जिसके बाद मै उसे मना नही कर पाया और इस तरह से तुम्हारे डॉक्यूमेंट्स का इंतजाम हुआ। इतना सब कुछ बताने के बाद बुजुर्ग व्यक्ति वहां से चला गया। जाते हुए बुजुर्ग व्यक्ति को देखकर लड़की कुछ सोचने लगी।
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To be continued...............
राधिका माधव
02-Jan-2022 07:47 PM
Really you are a very brilliant writer. God bless you dear.
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kapil sharma
28-Dec-2021 09:52 AM
👍👍👍
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